शीतलहरी बढी तो भगवानजी को भी लगने लगी ठंड

- इस्कॉन मंदिर में ठंड से बचाव को किया गया इंतजाम
- दिसंबर में चल रही है शीतलहरी
- मौसम के अनुसार भोग में भी बदलाव
- भगवान के लिए भक्त बना रहे स्वेटर
- मंदिर में हीटर का भी किया प्रबंध
- भगवान भी एक व्यक्ति के रूप में आए
शीतलहरी बढी तो भगवानजी को भी लगने लगी ठंड
- भगवान के वस्त्र और भोग में किया गया बदलाव
गया: गया में शीतलहर का प्रकोप शुरू हो गया है। हाड़ कंपा देने से बचने के लिए लोगों ने तरह-तरह के गर्म वस्त्र व अन्य चीजों का उपयोग कर रहे हैं। गया जिले के कई मंदिरों में भगवान को भी ठंड से बचाने के यतन में भक्त जुट गए हैं। मंदिरों में भगवान को भी ऊनी वस्त्र पहनाया जाने लगा है। साथ ही मौसम के अनुकूल भोग में भी बदलाव किया गया है।
गया के इस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां राधे- कृष्ण, भगवान जगन्नाथ, बलराम जी, सुभद्रा माता, चैतन्य महाप्रभु आदि देवी देवताओं की प्रतिमा है। माता तुलसी भी विराजमान हैं। भगवान को ठंड न लगे। इसके लिए मंदिर में तमाम व्यवस्थाएं की गई है। भगवान की प्रतिमाओं को गर्म वस्त्र पहनाए गए हैं। सिर पर ऊनी टोपी भी है। इस्कॉन मंदिर में जितनी भी देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं। सभी को ऊलेन वस्त्र पहनाए गए हैं जबकि माता तुलसी को शाल पहनाया गया है।
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दिसंबर का महीना है और ठंढ चरम पर पहुंचने लगी है। ऐसे में गया के कई मंदिरों में भगवान के प्रति भक्तों की अटूट आस्था देखने को मिल रहा है। भक्त भगवान को ठंड-सर्दी से बचाने के लिए ऊनी वस्त्र पहना रहे हैं। भगवान को स्नान गर्म पानी से कराया जा रहा है। भगवान को तरह-तरह के ऊलेन कपड़े पहनाए जा रहे हैं. तरह-तरह के आकर्षकों स्वेटर में भगवान का रूप और भी मनमोहक लग रहा है।
मौसम के अनुसार भगवान को लगने वाले भोग में ही बदलाव किया गया है. भगवान को गाढ़ा दूध और उसमें केसर, अदरक आदि मिलाकर भोग लगाया जा रहा है। तिल भी भगवान को भोग में अर्पित किया जा रहा है। अभी ठंड के दिन में भगवान को जितने भी भोग लगा रहे हैं, कोशिश यही हो रही है कि ठंड से बचने वाले पदार्थ का ही भोग भगवान को लगाया जाए।
भक्त भी भगवान को ठंड के दिनों में पहनने के लिए ऊनी वस्त्र बना रहे हैं। उनके ऊलेन वस्त्रों में ऊनी स्वेटर और वॅलभेट के वस्त्र हैं। ऊनी और वॅलभेट आदि वस्त्रों का इस्तेमाल हो रहा है, जो कि ठंड से बचाव में उपयोगी होते हैं।
ठंड से बचाव के लिए गया के इस्कॉन मंदिर में हीटर का भी प्रबंध किया गया है. जिस तरह गर्मी में भगवान को गर्मी और लू से बचाव के लिए पंखे और एसी की व्यवस्था की जाती है। उसी प्रकार ठंड के दिनों में उन्हें वस्त्र पहनाए जाने के अलावे हीटर भी लगाए जाते हैं। इस तरह इस्कॉन मंदिर में भक्तों की अनोखी आस्था देखने को मिल रही है.
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इस संबंध में इस्कॉन मंदिर गया के अध्यक्ष जगदीश श्याम दास बताते हैं कि हमारे यहां भगवान जी को ठंड से बचने के लिए तमाम व्यवस्था की गई है। भक्तों का भाव है कि उन्हें सर्दी लगेगी। ऐसे में भगवान जी को ऊलेन वस्त्र पहनाए जा रहे हैं। हीटर का भी प्रबंध किया गया है। भगवान को अर्पित होने वाले भोग में भी बदलाव किया गया है। केसर, अदरक, तिल आदि का भगवान को भोग लगाया जा रहा है। जगदीश श्याम दास बताते हैं कि भगवान भावग्राही है। भगवान प्रेम के भूखे होते हैं। भगवान जी तो सर्दी- गर्मी के ऊपर हैं, क्योंकि उनका शरीर सच्चिदानंद है, किंतु देखें तो भगवान राम, भगवान कृष्ण व्यक्ति के रूप में आए। इस नजरिए से देखें तो भगवान भी एक व्यक्ति हैं. जिस तरह से भगवान भक्तों का ख्याल रखते हैं, तो भक्त भी उनका ख्याल रखते हैं। हमारे मंदिर के मालिक भगवान ही हैं और हम सेवक उनकी सेवा करते हैं।