नवरात्र के नौ दिन क्यों होती है माँ भगवती की पूजा?

Published by:- Puja Kumari
नवरात्र के नौ दिन क्यों होती है माँ भगवती की पूजा?
नवरात्री का पर्व हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है. इस दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ऐसे तो हर साल ये पर्व चार बार आता है, जिसमे से दो गुप्त नवरात्री होती है, एक चैत्र और एक शारदीय नवरात्री होती है. लेकिन इन सबमे सबसे ज्यादा महत्व शारदीय नवरात्र का माना जाता है, तो चलिए आपको बताते है आखिर क्यों नवरात्र के नौ दिनों में माँ भगवती की पूजा की जाती है.
यह पर्व मुख्य रूप से माता रानी के नौ रूपों की पूजा अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है. माना जाता है कि जो भी साधक पूरे विधि विधान से नवरात्र का व्रत और माता की पूजा अर्चना करता है, उसके सभी प्रकार के दुःख दर्द और दरिद्रता दूर हो जाते है.
अगर शास्त्रों की बात करे तो, शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार देवताओं ने महिषासुर के आतंक से मुक्ति पाने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से सहायता मांगी. जिसके बाद देवताओं की प्रार्थना स्वीकार करते हुए तीनो महाशक्तियों ने अपनी शक्तियों का संचार करके एक देवी का सृजन किया, जिसे देवी दुर्गा का नाम दिया गया. मुख्य तौर पर माँ दुर्गा की उत्पत्ति महाबली राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए हुई थी. युद्ध के लिए माता को सभी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए जिसके बाद देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया. बताया जाता है कि ये युद्ध नौ दिनों तक चला था और दसवें दिन देवी ने महिषासुर का अंत कर दिया. माता के इस विजय को महिषासुर मर्दिनी के रूप में जाना जाता है और इसी प्रथा को बढाते हुए नवरात्री का पर्व मनाया जाता है. क्योंकि आश्विन मास में शरद ऋतू का प्रारम्भ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है.
नवरात्री को लेकर एक और मान्यता है जो की रामायण से जुड़ी है, कहा जाता है कि रावण को हराने के लिए भगवान श्री राम ने माँ भगवती की पूजा अर्चना की थी और नौ दिनों तक नवरात्री का व्रत रखा था. जिसके बाद उन्होंने रावण को हरा दिया था. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है.
* नवरात्री के व्रतों का मूल उद्देश्य
नवरात्री के व्रतों का मूल उद्देश्य है- इन्द्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय. वास्तव में नवरात्र अन्तः शुद्धि का महापर्व है. आज वातावरण में चारों तरफ विचारों का प्रदूषण है. ऐसी स्थिति में नवरात्र का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. नवरात्र शब्द से नव अहोरात्रों का बोध होता है, जिसका मतलब होता है विशेष रात्रियाँ. भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है. इसलिए दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्री आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है.