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    Bihar News : चम्पारण की बेटी श्रेयसी सिंह बनने को तैयार, बस एक लाइसेंस की है दरकार

    प्रतिक कुमार 2025-01-08 08:25:06 खेल

      मोतिहारी न्यूज : जिस प्रकार बिहार की बेटी व जमुई विधायक श्रेयसी सिंह ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति व बुलंद हौसले की बदौलत निशानेबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और देश के लिए कई मेडल जीता। ठीक उसी प्रकार चम्पारण की एक बेटी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति व बुलंद हौसले की बदौलत निशानेबाजी में राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बना चुकी है। अब वो नेशनल और इंटरनेशनल मैच खेलने के लिए तैयार हैं. 

      • काव्या के पास नहीं है रायफल का लाइसेंस 

      चम्पारण की बेटी काव्या कुमारी जिसकी उम्र महज 16 साल है और एनसीसी से अपने कैरियर की शुरुवात करने वाली इस लड़की ने नेशनल गेम में ऐसा निशाना साधा कि आज वो नेशनल और इंटरनेशनल मैच खेलने के लिए तैयार है और उसे भारतीय टीम के चयन के लिए ट्रायल में भाग लेना है । लेकिन सबसे बड़ी समस्या ये है कि उसके पास अपना रायफल नहीं है और वो भाड़े के रायफल से अपना करियर बना रही है। 


      ऐसा नहीं है कि वो रायफल नही खरीद सकती है बल्कि उसके दादा व पिताजी अपना जमीन बेचकर उसे बंदूक देना चाहते है ताकि उनकी बेटी राष्ट्रीय व अंतररास्ट्रीय स्तर पर चम्पारण व बिहार का नाम बुलंद कर सके। लेकिन इसके लिए उसे एक बंदूक का लाइसेंस की जरूरत है, लेकिन उसे मिल नही रही है और उसका फ़ाइल डीएम कार्यालय में धूल फांक रहा है। बस जरूरत है कि उसे एक बंदूक का लाइसेंस मिल जाय ताकि वो देश दुनिया में चम्पारण व बिहार का नाम रोशन कर सके ।

      • डीएम कार्यालय से लाइसेंस का इंतजार 

      चम्पारण की बेटी काव्या कुमारी , उम्र महज 16 साल ,पढ़ाई इंटर ,पहचान राष्ट्रीय निशानेबाजी। जी हां कम उम्र में बड़े कारनामे करने वाली इस लड़की ने एनसीसी से अपने कैरियर की शुरुवात की और बिहार टीम में खेलकर व वहां से जीतकर प्री राष्ट्रीय चैम्पियंशिप जीतकर राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनने के लिए तैयार है। इस लड़की के सामने अपने व चम्पारण और बिहार का सपना पूरा करने के लिए बस एक रायफल की जरूरत है।  


      लाइसेंस जिलाधिकारी को निर्गत करना है। लेकिन कार्यालय के लोगों का कहना है कि लाइसेंस उसी को दिया जाता है जिसकी उम्र कम से कम 21 वर्ष हो लेकिन खेल में ये नियम काम नहीं करता है क्योंकि खेल के नियमों के मुताबिक राष्ट्रीय स्पर्धा अथवा खेल के लिए बारह वर्ष में ये लाइसेंस मिल सकता है. काव्या के दादा को इंतजार है कि कब जिलाधिकारी उनकी बातों को सुनेंगे और लाइसेंस दिलाने में मदद करेंगे. और उसके सपनो को साकार करने व चम्पारण और बिहार का मान राष्ट्रीय व अंतररास्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने में मदद करें।

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