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    FIR against police officers : डीजीपी की कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप, निलंबन से लेकर बर्खास्तगी की लटकी तलवार

    BNP डेस्क 2025-02-21 12:55:05 राज्य

      मधेपुरा न्यूज : बिहार की मधेपुरा पुलिस ने अपने ही 31 पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है। DGP विनय कुमार के निर्देश पर हुई इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है। एफआईआर के बाद ऐसे पुलिसकर्मियों के विरुद्ध निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जा सकती है।

      * डीजीपी के आदेश के बाद लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई * 

      डीजीपी के आदेश के बाद एसपी ने अपने महकमे को दुरूस्त करने की कवायद शुरू की है। ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जो आपराधिक मामलों का अनुसंधान पूरा करने के बजाय फाइल दबा कर ही बैठक गये। उन्हें पहले वार्निग दी गयी थी। इसके बावजूद नहीं संभले। 

      दरअसल डीजीपी ने आपराधिक मामलों की छानबीन में देरी पर गहरी नाराजगी जतायी है। डीजीपी ने सभी एसपी को ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जो अनुसंधान की फाइल दबा कर बैठे हैं। डीजीपी के आदेश बाद मधेपुरा एसपी ने समीक्षा की तो पुलिस के कारनामे सामने आ गये। 

      * समीक्षा में पाई गई पुलिस अधिकारयों की लापरवाही* 

      हालत यह है कि जिले के सिर्फ थाना सदर थाना की समीक्षा में 31 पुलिस पदाधिकारियों की लापरवाही सामने आई। आपराधिक मामलों का अनुसंधान करने की जिम्मेवारी जिन अधिकारियों को दी गयी थी। वे 10-12 साल से मामले को दबा कर बैठे थे। एसपी की समीक्षा में इसकी जानकारी मिलने के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिन 31 पर एफआईआर किया गया है।

       जिले के। सदर थाने में दर्ज एफआईआर की जानकारी देते हुए थानाध्यक्ष विमलेंदु कुमार ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(5), 3(5) के तहत केस संख्या- 230/25 दर्ज किया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि जिन पुलिस पदाधिकरियों के पास केस लंबित हैं उन्हें कई बार पत्र लिखकर कांड का प्रभार सौंपने या फिर अनुसंधान को पूरा करने को कहा गया लेकिन न तो किसी ने प्रभार सौंपा और न ही केस के निष्पादन की दिशा में कोई कार्रवाई की। 

      * 6 वर्षों के बाद भी 100 केस का पूरा नहीं हुआ अनुसंधान*

      मधेपुरा सदर थाने में 2013 से 2019 तक के करीब 100 ऐसे केस हैं, जिनका अनुसंधान अब तक पूरा नहीं हुआ है। एक सब इंस्पेक्टर तो पूरे 36 केस को दबा कर बैठा है। एसआइ महेश कुमार यादव के पास तीन दर्जन केस लंबित है. 2013 से लेकर 2017 तक के इन लंबित मामलों का अनुसंधान पूरा करने में महेश कुमार यादव ने कोई रुचि नहीं दिखाई. इसी तरह एसआइ नन्दकिशोर सिंह के पास एक दर्जन केस पेंडिंग है. कई दूसरे पुलिस अधिकारियों के पास भी दो-चार केस लंबित है। जिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया गया है उनमें सहरसा यातायात थाना के थानेदार रविश रंजन और सुपौल जिले में थानेदारी कर रहे सियावर मंडल शामिल हैं।

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