Katihar News : माघी पूर्णिमा के अवसर पर संगम तट पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, स्नान कर पूजा अर्चना की

कटिहार न्यूज : माघी पूर्णिमा के अवसर पर कोशी सीमांचल के सहरसा, मधेपुरा, सुपौल पूर्णिया, बिहारी गंज, रूपौली, भवानीपुर, समेली तथा कुरसेला से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां जुटे थे। संगम तट पर स्नान के विशेष महत्व को लेकर लोगों की ज्यादा भीड़ रही। इसको लेकर बाजार में भी विशेष चहल-पहल रही।
![]()
शत्रि मोहिनी गंगा को पापहरणी तथा मोक्षदायिनी मानी गई
शत्रि मोहिनी गंगा को वेद ग्रंथो में पापहरणी तथा मोक्षदायिनी मानी गई है। ऐसे स्थलों पर जप तप, ध्यान, साधना, गंगा सेवन और स्नान विशेष रूप से फलित समझा जाता है। भारत में ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग, काशी सुल्तानगंज के समरुप ही इस संगम को माना जाता है। कोसी नदी और कलवलिया नदी की धाराएं यहां गंगा नदी से मिलती है। यहां गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है। सूर्योदय से ही उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है।
सूर्योदय की किरणें सीधे गंगा के लहरों पर पड़ती है। इससे प्रकृति का अनुपम दृश्य उपस्थित हो जाता है। नेपाल से निकलने वाली कोसी के सप्तधाराओं में एक सीमांचल क्षेत्र के कई जिलों से गुजरते हुए यहां आकर गंगा नदी से संगम कर अपना वजूद खो देती है। कलवलिया नदी की एक छोटी धारा इस उत्तरवाहिनी गंगा तट से मिलकर संगम करती है। गंगा नदी पार दूसरे छोर पहाड़ों के बीच बाबा बटेशवरनाथ का प्रसिद्ध पौराणिक मंदिर है। धार्मिक रूप से उत्तरवाहिनी गंगा तट का यह क्षेत्र उपकाशी समझा जाता है।